लेखनी प्रतियोगिता -30-Dec-2022
फर्ज
फर्ज का शिकार वह हो गया
जिसकी मोहब्बत को हमने
अपना खुदा समझ जिंदगी का
हर सपना उसके नाम कर दिया
क्या खता थी हमारी हम पूछ ना
पाएं जब दिल जला मोहब्बत में
आंसू भी ना वहां पाएं, कैसे कहूं
उसकी खता ना थी जो फर्ज के
नाम पर एक मुकाम पर यह भूल
गया कि एक वादें का फर्ज मेरे नाम
वह छोड़ कर बेवफाई का दाग़ ले गया।
राखी सरोज
Sachin dev
31-Dec-2022 06:05 PM
Bilkul sahi
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RAKHI Saroj
31-Dec-2022 09:01 PM
धन्यवाद
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
31-Dec-2022 08:53 AM
शानदार
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RAKHI Saroj
31-Dec-2022 09:00 PM
धन्यवाद
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Renu
31-Dec-2022 08:09 AM
👍👍🌺
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RAKHI Saroj
31-Dec-2022 09:00 PM
धन्यवाद
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